जे शताब्दी अछि 1900
जे शताब्दी अछि ১৯০০ थावेँ मध्ये, मैथिली भाषा चा एकटौ संविधानिक आ शासकीय मान्यता संपन्न भेल। मैथिली जहाँ आ देशभक्ति, शोक, प्रेम, विचारा, एकता आ भारतीय संस्कृतिक कीटाल गतील।
तेवेँ जतन तो मैथिली भाषा छी महत्वाकाँक्षा तोहम जी की लोकप्रियता आदि रक्खिस बात छी, मैथिली संपत रूपरेखा बढ़ा चुकली बाबत। आन वितरित मानिस के अनुसार, मैथिली भाषा आगमनी बहुत पहलौ हिचि आब्बार।
मैथिली भाषा में अद्वितीयता आ संदर्भता ककेँँ
मैथिली भाषा अद्वितीय आ अलग छी। यह भाषा मानवीय रूप से बहुत समृद्ध आ प्राकृतिक गायो है। इसमें 2000 से अधिक शब्द होते हैं जो इसे बहुत मनोहारी बनाते हैं। मैथिली भाषा के अनुकूलित लेख आ व्याकरण से लेखित लेख को मद्देनजेसक
बनाउ कि मायाकर व्याकरणिक केँ भ्रम नआ परै।
मैथिली भाषा के शीर्षक आ उपशीर्षकमे
मैथिली भाषा में SEO के अधिग्रहिक आणि वीप्र शब्द चयन पर ध्यान देकर लेख लिखने की कला मे पक्की वृद्धि हुई है। हरेक लेख में कम से कम पांच हेडिंग आ Unशीर्षक समेत (H2, H3 आ H4 टैग के साथ) चुने गए विषयों को कविया जाना चाहिए।
शीर्षक आ उपशीर्षक लगाने के पश्चात, मैथिली भाषा में शब्दों का उच्चतम उपयोग करके लेख लिखना चाहिए। कोष्ठक सामग्री के प्रयोग के समय यंत्रणा और फटकार से बचाएं। सामग्री को ऐसे लिखने से लेखक का अभिप्राय और विशिष्टता पर्याप्त रूप से सुनिश्चित किया जा सकेगा।
अत्यंत महत्वपूर्ण पंक्तियों के प्रयोग करें ताकि पाठक सकर्मक रूप से रंग ले सकें। इसके अलावा, लेख विषय पर विचार करते समय सावधानीपूर्णता बनाए रखें कि कोई भी विशेषता या संदर्भ का नुकसान नहीं होता है।
संवादात्मक शैली में लिखें। यह उन लोगों द्वारा लिखा गया है जिन्हें अपनी उवाचधारणा, व्यक्तिगत सर्वनाम, पाठक के संग्रह करने, अनुकार सवाल पूछने और उपमा और रूपक को शामिल करना पसंद है।
समापन पैराग्राफ आ लेख के विषय पर पांच प्रश्नों के साथ समापन करें। महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी शीर्षकों और उपशीर्षकों को बोल्ड करें और उचित शीर्षक टैग का प्रयोग करें।
"परिचय" शब्द का उपयोग न करें। अपनी प्रतिक्रिया में छोटी उपविष्टि न शामिल करें, मुदा एक्र का प्रयोग करें। इसलिए, एक ऐसा लेख लिखें जो शताब्दी अछि 1900 के बारे में हो।