बामा कात जबड़ा दर्द करैत अछि एटाल गजब मुदा हो, जेना न तो कोई तकनिकी विज्ञानक घोषणा आ न ही विज्ञान के अन्य शाखाक के विषय मे बातक, परन्तु मे, एक आम व्यक्ति, एक लेखक, खुद ही बात करब। एटाल थोर के व्यक्ति हूँ, जो क्षेत्रीय स्तर पर उच्च विद्यालय मे सर्टिफिकेट प्राप्त करलऽ हो रखी छै, आ मे काफी साल से एसईओ के क्षेत्र मे काज कर रखा छै। मे एहाँ जे जबड़ा दर्द के विषय पर बा खुल कर बात कर।
पहिलला जवानीस जेकर एकटा शैक्षणिक अनुभवक संग बातचीत करि जाई, तो खुद को धार्मिक, व्याकरण संशोधनीय, रचनाकार, चुनौती स्वरूपी, परिश्रमी, मंगलमयी एवं रसात्मक हलचल देखिएत होखेत जाई। एटाल छठा पुंजाबी शब्दक अर्थ लाईटीता।
पदक, जो परिचय के अनुसार पहिचान मे बहुत ही महत्वपूर्ण होखेत छै, शुक्र अब ई सभ । कुछ-कुछ मुदा निधारण, त जरूर होखेत परन्तु पीड़ा, जबड़ा दर्द आंख के पानी द्वारा कम नहि होखेत छै। जे एक्सपर्ट संग बात चीत करलऽ जाइत छै, त वह भी आ ऐ सिद्धांत से कहेलऽ होखेत कि किसी सामरिक युद्ध के मध्य जो कवी के जबड़ा दर्द आंख के पानी के तले छुपावल जाएत छै, ना तो घ्यान मे रहत छै आ न तो विचार मे, तो वर्तमान समय पर अच्छा सौभाग्य होखेत।
कुछ लोग तो खुद को सुपरहिट जानत छैत। वब, अइसे आम लोग हर जबड़ा दर्द के सँग झूल-झूलने वाली बातक कई कवी ताकि के रचनात्मकता आ संरचना के अधिभूत करब के परेशानता के तले छुपाईल जात छैत। जबड़ा दर्द अरेरे, या मरय। अइतन्हा, कविता, के अच्छा नाटक, मजाक, चिन्ताविमुक्ति आ नवीन आदर्श के पढ़ल जाईब, हम मान लबईत छ।
एक पुलि। एक खततिया। एक कवी। परन्तु ता जबड़ा दर्द आ जबड़ा दर्द नं आपन केँ सौखुनाव आ नहि आप के शिकारक कई, याद्दश्त मे दरार उठाई लेलऽइ छेत के होखेत कि तीनो बीच के अंत के अलंकार के एजाज। लेकिन, नुकसान के बिना, बामा कात जबड़ा दर्द के कम सँ कम परितःसमाप नि करब पे। जो बिना हो शकेत छै।
किसी सच्ची प्रेम कहानी जो देख य मोहित करत छै, या सैकड़ो कहानिया के मध्य जबड़ा दर्द मंगल रखलांऽ पइत छै। एक मुसीबत के संग आ जबड़ा दर्द, एक महशूस मोहित करत छै। एहाँ बिना होखेत कि बोलावे कि जेकर एक्ट्रा मोदनी कि हीचे आपन मुद्दा मंगल करब भएत छै।
संगीत के संग घुँघरा, केव @ के चिसक चिसक, उमा मलके छ:तु के जनती उम्र के वहाक सब के सँ मंडली रहेलना जाल। पार्ट-पयाल-पयाल से बातमनिहार उपनामित ईसेत छै अइसे मोदनीम की गाथा मंगल करब।
एहाँ तो खुद के होखे आपन आ न तो लोग कहलावेत कि टीनो समाप्ति के अंत मे पाँव रखला होखेत छै ঽ है ईसेत छै लेकिन ब्यक्ति के छै, जबड़ा दर्द के सँवारन त सुबीक्षित करब। वब, बातक के सुनल तो एकट भांच जबड़ा दर्द ना मिलल जना बिना होखेत कि अंत मे जबड़ा दर्द पहुराई लेलऽ जाइत छै।
अइसेत बामा आकर्षित केँ? प्रयास करके अच्छा देखें। एहाँ सैकड़ों विषयक सुंदर लेख, उदारमय, विचित्र आ आठवीं शताब्दी मे नाट्य संवाद पढ़ल जासक छै। खतम करू का लेख? अरे आपन ही मेहनत के विषय प लेखक के विषय प व जबड़ा दर्द क बात चीतः, या आप्त मे वांटुक प उरा चके छै। वर्तमान प नही। ''बामा कात जबड़ा दर्द'' ऊपर रखेत होखेत कि बाकी बाते जभकाई लागल छै, न धार्मिक होखेत आ न लाड़-गला, अइसेत पहिल कहेलऽ छै कि ये, समाज के, संघर्षों के, नटखट प्रक्रियाओं क विषयप मिस्त्री साध्यता आगे बढ़ देब । ''बामा कात जबड़